शनिवार, 13 नवंबर 2010

दस साल का झारखंड

झार का अर्थ है पेड़ औऱ खंड का अर्थ है प्रदेश यानि वनों का प्रदेश झारखंड....बहत्तर साल पहले भारतीय हॉकी टीम के सदस्य और कप्तान जयपाल सिंह ने पहली बार बिहार के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड बनाने का विचार रखा था... भारतीय संसद ने दो अगस्त दो हजार को जयपाल सिंह के विचार पर मुहर लगाई.... और संसद में विधेयक पास होने के बाद अठाईसवें प्रदेश के रूप में झारखंड पंद्रह नवंबर दो हजार को अस्तित्व में आया।

बिहार के दक्षिणी हिस्से जिसे प्रकृति से अनुपम सौंदर्य और अकूत खनिज संपदा भंडार सौगात में मिली थी.....जहां के जंगलों में भोले-भाले आदिवासी निवास करते थे... उस हिस्से को बिहार से अलग कर झारखंड बनाया गया।

झारखंड की आबादी लगभग तीन करोड़ है....और यहां एक हजार पुरूष पर नौ सौ इकतालीस महिलाएं हैं.... जनसंख्या घनत्व की बात करें तो ये आंकड़ा करीब दौ सौ चौहत्तर व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर है...लेकिन जनसंख्या घनत्व का बंटवारा कहीं सघन है तो कहीं काफी कम है....गुमला जिले में महज एक सौ अड़तालीस व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर निवास करते हैं तो धनबाद में ये आंकड़ा ग्यारह सौ सरसठ व्यक्तियों का है।

प्राचीन काल से ये प्रदेश आदिम जनजातियों का गृहक्षेत्र रहा है....यहां बत्तीस जनजातिय समूहों का निवास है... जिसमें असुर, बैगा, बंजारा, भथुड़ी, बेदिया, बिझिया, बिरहोर, बिरिजिया, चेरो, चिक-बराईक, गौंड, गोराईत, हो, करमाली, संथाल, सौरिया-पहाड़िया, सावर, भूमिज, कोल और कंवर शामिल है।

यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यरूप से खनिज और वन संपदा पर आधारित है...लोहा, कोयला, माइका, बाक्साइट, फायर-क्ले, ग्रेफाइट, कानाइट, सेलीमाइट, चूना पत्थर, युरेनियम और दूसरी खनिज संपदाओं की प्रचुरता की वजह से यहां उद्योग धंधों का जाल बिछा है.... खनिज उत्पादों के खनन से प्रदेश को सालाना तीस हजार करोड़ की आमदनी होती है।

झारखंड की शासन व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके इसके लिए प्रदेश को चौबीस जिलों में बांटा गया है...अलग राज्य बनने के बाद लातेहार, सराईकेला, खरसावां, जामताड़ा, साहेबगंज, खूंटी और रामगढ़ को जिला बनाया गया है......दस साल के छोटे से इतिहास में झारखंड में सात सरकारें काम कर चुकी है...जबकि के शंकर नारायणन प्रदेश के छठे राज्यपाल हैं।

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