शनिवार, 24 सितंबर 2011

समझ “तंत्र”


अंड, बंड, लोकतंत्र
भीड़तंत्र, वोटतंत्र
भ्रष्टतंत्र, जनतंत्र
बेसमझ समझ तंत्र

टू जी, थ्री जी
करते हैं मनमोहन जी
फिर भी गाते हरे राम
गौर करो तो सोनिया राम !

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