बुधवार, 26 दिसंबर 2012

एनडीए 2014 !


नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के लिए बने मंच से आपको एक ऐसी तस्वीर नजर आ रही होगी....जो अगले साल भर में एनडीए की नई सूरत बन सकती है...अगर आपने इस मंच पर मौजूद चेहरों को ध्यान से नहीं देखा तो जरा ध्यान से देख लीजिए..। 

मनसे सुप्रीमो राज ठाकरे..... शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे..... एआईडीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडू की सीएम जयललिता......आरपीआई नेता रामदाश अठावले... ये वो चेहरें है जो एनडीए में नजर नहीं आते, फिर भी वो यहां मौजूद हैं.... और इनकी यहां मौजूदगी एक ऐसी तस्वीर की कहानी की शुरूआत भर है...जिसकी ताबीर अगले लोकसभा चुनाव के दौरान या चुनाव परिणाम आने के बाद नजर आ सकती है।

एनडीए दो हजार चौदह की तस्वीर वर्तमान एनडीए से काफी अलग होने की संभावना है... बड़ी  शिद्दत से मोदी औऱ उनके सिपहसालारों ने इस मंच पर एक से एक चेहरो को बिठाया है...वैसे इस मंच से जो चेहरे नदारद है उनकी अहमियत पहले बता दें आपको.... सबसे ज्यादा कमी इस मंच पर जिस शख्स की खली है वो हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार... चर्चा है की उन्हे इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए न्यौता ही नहीं भेजा गया, वैसे नीतीश कुमार ने भी मोदी को हैट्रिक जीत पर अबतक बधाई नहीं दी....नीतीश कुमार मोदी से दूर भागते रहे हैं, इसकी वजह बिहार में अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति है...नीतीश जानते हैं, की अगर उन्होने मोदी से दोस्ती दिखाई तो उनका बड़ा जनाधार खिसक जाएगा....जेडीयू को यूं तो एनडीए से कोई टशन नहीं लेकिन मोदी से उनकी दोस्ती नहीं हो सकती... वैसे अभी ये कहना दूर की कौड़ी है की जेडीयू एनडीए टू थाउजेंड फोर्टीन के फ्रेम से बाहर नजर आएगी...।

शपथग्रहण के इस मंच पर उड़ीसा के मुख्मयंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी बुलाया गया था.... लेकिन दोनों ने यहां आने से विनम्रता पूर्वक मना कर दिया...ममता बनर्जी फिलहाल बीजेपी से खफा हैं, और वो नहीं चाहती की ज्लदबाजी में ये जनता के बीच ये संदेश जाए की वो एनडीए के साथ जा रही हैं... सब जानते हैं की ममता बनर्जी के लिए एनडीए अछूत नहीं है और नरेंद्र मोदी से भी उन्हें कोई वैर नहीं...लिहाजा साठ से अस्सी फीसदी संभावना है की वो एनडीए दो हजार बारह के फ्रेम में नजर आए..... नवीन पटनायक उड़ीसा की सियासत तो अकेले कर सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में अपनी हिस्सेदारी के लिए उन्हें एक नेशनल पार्टी की जरूरत है...जिसकी भारपाई वो बीजेपी से ही करेंगे..इसके किसी को कोई शक नहीं....।

अब बात मंच पर मौजूद लोगों की....पहले एआईडीएमके सुप्रीमो जयललिता की बात कर लेते हैं... नरेंद्र मोदी से जयललिता की अच्छी दोस्ती है, मोदी भी जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे...और अब वो मोदी की शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बनी हैं...ऐसे में इस बात की सौ फीसदी संभावना है की मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए मैडम जयललिता के साथ की जरूरत पड़ी तो वो एनडीए के फ्रेम में जरूर नजर आएंगी।

मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में महाराष्ट्र की सियासत की नई तस्वीर भी उभर कर सामने आ सकती है... मोदी अपने शपथ ग्रहण समारोह के बहाने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को साथ लाने में कामयाब रहे हैं...इतना ही नहीं मोदी ने महाराष्ट्र के एक और क्षेत्रीय क्षत्रप रामदास अठावले को भी इस मंच पर जगह दी है...यानी महाराष्ट्र के तीन अलग-अलग चेहरे मोदी के साथ नजर आ रहे हैं, अगर मोदी ने अपने तरकश में इन तीनों चेहरों को शामिल कर लिया तो एनडीए की सूरत तो बदलेगी ही बदलेगी साथ ही साथ महाराष्ट्र की राजनीति भी पूरी की पूरी बदल जाएगी जहां कांग्रेस और एनसीपी अलग थलग पड़ सकते हैं।

मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के जरिए ना केवल अपनी ताकत दिखाई है बल्कि एनडीए के एक ऐसे चेहरे का अक्स दिखाया है जिसे देखकर फिलहाल कांग्रेसी नेताओं के हलक सूख रहे होंगे....वैसे कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह उन्हें बधाई देने से नहीं चूके।

दिग्विजय सिंह की तरह मोदी की इस सियासी चाल का आभास दूसरे कांग्रेसी नेताओं को हो रहा होगा... मोदी ने दो हजार चौदह की सियासी बिसात बिछा दी है....औऱ अब वो सोच समझकर एक एक चाल चल रहे हैं ताकी दिल्ली में दो हजार चौदह में उनकी ताजपोशी हो सके।

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