गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

मोदी 'मोदी' क्यों हैं ?



मोदी से ही जीत है.... बिन मोदी के हार..... बीजेपी के सभी दिग्गजों को ये अहसास हो गया होगा.....हिमाचल में सबकुछ था, विकास की ताबीर थी, भ्रष्टाचार और महंगाई पर कांग्रेस को घेरने का मुद्दा था... नहीं था तो मोदी जैसा कोई चेहरा....जो पार्टी को जीत के रास्ते पर लेकर जाता....
हिमचाल की बात छोड़ गुजरात वापिस आइए...सियासत में जीत की हैट्रिक लगाना इतना आसान नहीं होता....जो सियासत समझते हैं, वो इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। मोदी,  मोदी क्यों है.... इसे समझने के लिए दस साल पहले जाना होगा.... गोधरा दंगे की आग ठंडी भी नहीं हुई थी की चुनाव सिर पर आ गया... इस बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का वो बयान की मोदी ने राजधर्म नहीं निभाया.... मोदी के लिए खतरे की घंटी जैसी थी....ऐसा लगा की बीजेपी के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी और मोदी औंधे मुंह गिरेंगे........ लेकिन सियासी पंडितों की भविष्यवाणी धरे के धरे रह गए.... मोदी ना केवल जीत कर वापिस आए..... बल्कि एक सौ सत्ताइस का वो आंकड़ा भी हासिल किया....जिसका सपना बीजेपी ने कभी देखा भी नहीं थी...।   

हिन्दुस्तान की सियासत में जाती से दिगर जाने की बात कोई राजनेता सोच भी नहीं सकता.... लेकिन मोदी ने इस रास्ते पर कभी ध्यान हीं नहीं दिया.... कट्टर हिंदुत्वादी होने के उनपर कई बार आरोप भी लगे लेकिन उन्होने इस पर भी ध्यान नहीं दिया.... ध्यान दिया तो बस गुजरात के विकास पर....अमेरिका और ब्रिटेन ने मोदी से मुंह मोड़ रखा था फिर भी मोदी ने गुजरात में विदेशी निवेश का अंबार लगा दिया....और पांच साल में गुजरात को विकास के पहले पायदन पर पहुंचा दिया।   

दो हजार सात में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था....गुजरात दंगे की फिर दुहाई दी जा रही थी, नए सपने दिखाए जा रहे थे, केंद्र में यूपीए सरकार होने का सब्जबाग दिखाया जा रहा था....लेकिन जनता ने फिर से भरोसा किया तो मोदी पर...उस मोदी पर जिसने गुजरात को विकास का तोहफा दिया, उस मोदी पर जिसने बेरोजगारी दूर करने के लिए हर संभव कोशिश की....जिसने गुजरात को हिन्दुस्तान का व्यवसायिक हब बना दिया था।  

इस साल जब-जब लोकसभा चुनाव की चर्चा हुई बीजेपी की तरफ से एक ही नाम पर बात हुई प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी होंगे.... आधिकारीक तौर पर भले ही बीजेपी इस घोषणा से बचती रही लेकिन गुजरात चुनाव के दौरान सुषमा स्वराज से लेकर अरूण जेटली तक किसी ने ये कहने से परहेज नहीं किया की मोदी ही सबसे काबिल कंडिडेट हैं पीएम के लिए।

बीजेपी की इस घोषणा पर कांग्रेसी चुटकी लेते रहे की मोदी को पीएम बनाया जाएगा... बीजेपी में फूट डालने की कोशिश की गई लेकिन मोदी हिले नहीं, सदभावना यात्रा के जरिए मोदी ने खुद को विधानसभा की जंग के लिए तैयार किया....चुनाव से ऐन पहले केशूभाई पटेल ने अलग पार्टी बनाकर उन्हे चुनौती देने की कोशिश की....लेकिन उन्हे उनके ही गढ़ में मोदी ने चित्त कर दिया....जिस अर्जून मोढ़वाडिया ने उनपर ताना कसा था जो अगला सीएम बनने का सपना देख रहे थे मोदी के चक्रव्यूह में फंसकर वो विधानसभा तक ना पहुंच सके...प्रतिपक्ष के नेता शक्ति सिह को भी हार का मुंह दिखाया मोदी ने।

.... मोदी को टक्कर देने के लिए निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने मणिनगर में ही उन्हें घेरने की कोशिश की...केशूभाई पटेल ने वहां से अपना उम्मीदवार नहीं दिया...मोदी विरोधियों को लगा की उन्हें घर में घेर लेंगे...लेकिन सबके ख्वाब ख्वाब ही रह गए और मोदी पच्चासी हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए।

बात गुजरात में मोदी की जीत की हो रही है...पार्टी की नहीं.... क्योंकि गुजरात में जो रणनीति बनीं, वो मोदी ने बनाई... जिनको टिकट मिलना था उसका फैसला भी मोदी ने किया.... जिसका पत्ता कटा उसके लिए मोदी ही जिममेदार थे....सियासत की बिसात मोदी ने ही बिछाई और मोहरे भी मोदी ने ही तय किए...कौन गुजरात आएगा ये मोदी ने तय किया, कौन चुनाव प्रचार करेगा ये मोदी ने तय किया............... चुनाव प्रचार के लिए जब मोदी ने खुद को कम पड़ते देखा तो उन्होने थ्री डी अवतार धारण कर लिया और एक साथ साठ-साठ जगह पर सभाएं करने लगे...ये पहला मौका था जब पूरी दुनिया में किसी ने थ्री डी के जरिए चुनाव प्रचार किया था।

हम गुजरात नतीजे को मोदी की जीत इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि बीजेपी में उन नेताओं को तगड़ा झटका लगा है जो पीएम पद के लिए उम्मीदवार होने का मन ही मन सपना देख रहे होंगे...मोदी जीत का मंत्र हैं, और लोकसभा चुनाव की कमान भी वहीं संभालेगा जिसके पास जीत का मंत्र होगा, जीत की ताकत होगी....तो इंतजार कीजिए अब मोदी के दिल्ली आगमन की...क्योंकि खुद बीजेपी में उन्हें रोकने वाला कोई नहीं, कोई नहीं।



 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें