शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

 ग्रैविटेशनल तरंग मतलब ब्रह्मांड की आवाज़


मैं ब्रह्मांड हूं.....अनगिनत...ग्रहों, नक्षत्रों, सौरमंडल और आकाशगंगाओं का समूह हूं मैं....मैं अनंत हूं........इंसान की सोच से परे....अनगिनत अबूझ पहेलियों का संगम हूं...मैं ब्रह्मांड हूं...मैं दृश्यमान भी हूं....और आवाज़ से भरपूर भी....अमेरिका के लिगो लैब में वैज्ञानिकों जो आवाज रिकॉर्ड की है । वो आवाज़ है  करोड़ तीस लाख साल पहले की है वो भी दो ब्लैक होल्स के टक्कर की.....। 

14 सितंबर 2015 को एस्ट्रो फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने जो आवाज रिकॉर्ड की है...वो 1 करोड़ 30 लाख साल पहले दो ब्लैक होल्स के टकराने की आवाज है। इस आवाज़ को रिकॉर्ड करने के लिए अमेरिका में दो भूमिगत डिटेक्टर बनाए गए हैं....लिगो को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है... जो गुरुत्व तरंगों से गुजरने वाली  छोटी से छोटी कंपन का भी पता लगा सकते हैं ।
लिगो एल आकार की मशीन है...जो लेजर लाइट और अंतरिक्ष भौतिकी का इस्तेमाल कर गुरुत्व तरंगों का पता लगाती है....लिगो का निर्माण 1999 में शुरू हुआ था और  2001 से इसमें शोध शुरु हुए...लिगो के वैज्ञानिकों को पिछले साल 14 सितंबर को उस वक्त सबसे बडी़ सफलता मिली जब इसने गुरुत्व तरंगों के पहले संकेत पकड़े....यहां वैज्ञानिकों ने गुरुत्व तरंगों को 7.1 मिलीसेकंड बाद नोट किया । इस आवाज की रिकॉर्डिंग के बाद वैज्ञानिकों को अपनी खोज के हकीकत होने का भरोसा हुआ और मेरी आवाज सुनने की उनकी तमन्ना पूरी हुई....
इन तरंगों की खोज से खगोलविद काफी खुश हैं...क्योंकि इससे मुझे देखने का उनको एक नया नजरिया मिला...उनके लिए यह एक बेआवाज  फिल्म से आवाज आने जैसा है...क्योंकि ये तरंगे ब्रह्मांड यानि मेरी आवाज हैं....खोज टीम में शामिल कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट स्जाबोल्क्स मार्का ने कहा कि अभी तक हमारी नजरें सिर्फ आसमान पर थीं और हम उसका संगीत नहीं सुन सकते थे...अब आकाश पहले जैसा नहीं होगा। जिस ग्रैविटेशनल तरंगों से इंसानों की सोच बदली है...वो ग्रैविटेशनल तरंग अंतरिक्ष में होने वाले खिंचाव के माप हैं, ये बड़े द्रव्यमानों की गति के ऐसे प्रभाव हैं जो अंतरिक्ष समय की संरचना को स्पष्ट करते हैं....जो अंतरिक्ष और समय को एक रूप में देखने का तरीका है । ये प्रकाश की गति से चलती हैं और इन्हें रोकना या बाधित करना संभव नहीं है ।
अंतरिक्ष और समय को देखने का नजरिया बदलने वाला है...लेकिन ये इंसानी विकास की अगली सीढ़ी भर है...जिसके पहले पायदान पर अलबर्ट आइन्सटीन और गैलेलियों ने कदम रखा था ।
लिगो लैब में जिन ग्रैविटेशनल तरंगों की आवाज़ रिकॉर्ड हुई है...उसकी चर्चा आज से सौ साल पहले दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन ने की थी...लिगो और लिगो के लिए काम करनेवाले सैकड़ों वैज्ञानिक जिस खोज पर इतरा रहे हैं.........उसकी नींव सौ साल पहले 1916 में ही पड़ गई थी जब दुनिया के सबसे महान और सबसे तेज आईक्यू वाले वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन ने थिअरी ऑफ रिलेटिविटी यानि सापेक्षता के सिद्धांत के साथ  ग्रैविटेशनल वेव्ज का भी सिद्धांत दिया था ।
ग्रैविटेशनल वेव्ज को समझने, जानने और पकड़ने में सौ साल का वक्त क्यों लग गया...और क्यों वैज्ञानिक इस खोज पर इतने खुश हैं...इसका अंदाजा आइंस्टीन की बातों से हो जाता है.......आइंस्टीन ने कहा था ये वेव्ज इतनी हल्की हैं कि इन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल है और साइंटिस्ट इसे पकड़ नहीं पाएंगे ।
ग्रैविटेशनल वेव्ज की थिअरी पर काम असंभव सा था...शायद इसी वजह से दुनिया के सबसे तेज आईक्यू वाले अलबर्ट आइंस्टीन का भरोसा भी 1930 के दशक में  इस थिअरी पर उठने लगा था.....लेकिन 1970 के दशक में साइंटिस्ट ने पहली बार अप्रत्यक्ष सबूत हासिल किए और अब सीधे-सीधे ग्रैविटेशनल वेव्ज को प्रत्यक्ष रूप में रिकॉर्ड किया गया है ।
इस रिकॉर्डिंग पर लिगो टीम के लीडर और मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एमआईटी के डेविड शूमाकर ने कहा कि ये वेव्ज वैसी ही हैं, जैसी आइन्स्टीन ने कल्पना की थी.....इसकी तीव्रता 20-30 हर्ट्ज की है...गिटार के सबसे कमजोर नोट की तरह....एक सेकंड के छोटे-से हिस्से में 150 हर्ट्ज या उससे भी ज्यादा तीव्रता पर जाने वाली आवाज। पियानो के मिडल सी के बराबर
ये आवाज़ कमजोर भले ही है.... लेकिन इसकी धमक से इंसानों की सोच, ब्रह्मांड को समझने उनकी दिमागी ताकत को असीम शक्ति मिलेगी...ब्रह्मांड की उत्पत्ति की नई थिअरी पर काम शुरु होगा....पुरानी थिअरियों का और व्यापक पैमाने पर परीक्षण होगा ।
ग्रैविटेशनल वेव्ज की खोज में लिगो के साथ कई देशों के वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे थे....जिसमें भारत के इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे और राजारमण सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर के वैज्ञानिक भी अहम भूमिका में थे। 
तभी तो इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई देने में देर नहीं की और ट्विट किया हमें बहुत गर्व है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौतीपूर्ण खोज में अहम भूमिका निभाई है, एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा कि गुरुत्वीय तरंगों की ऐतिहासिक खोज ने ब्रह्मांड को समझने के लिए एक नया मोर्चा खोल दिया है.. मैं देश के एक विकसित गुरुत्वीय तरंग अन्वेषक के साथ और अधिक योगदान के लिए आगे बढ़ने की उम्मीद करता हूं... ।
ग्रैविटेशनल वेव्ज कितनी अहम है...इसका अंदाजा आप आसान शब्दों में इस बात से लगा सकते है...कि यही वो थिअरी है...जिससे वक्त से लड़ने की ताकत इंसान हासिल कर सकता है...टाइम मशीन यानि वक्त में आगे-पीछे जाने का जुगाड़ कर सकता है ।

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