बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

'द्रोह'काल

दिन-ब-दिन होनेवाली घटनाएं कुचलती जा रही है मदमस्त हाथी की तरह आम लोगों की समझ को, उनकी सोच को...। सौ टके का सच इस वक्त अलग-अलग सियासी पार्टियों के शोर....विचारधाराओं के टकराव में बिखर कर रह गया है....देशभक्ति जिनके लिए सम्मान का विषय नहीं, सारा ध्यान उसी पर केंद्रित हो रहा है....कोर्ट से जारी आदेश और उन आदेशों के मतलब से पूरा यथार्थ बदल रहा है  और कन्हैया सबकी सोच का हरण कर रहा है, और देश को गुमराह ।

पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए आए कन्हैया की पहले पिटाई की कोशिश हुई....उसके लिए फांसी की मांग की गई और मीडियाकर्मियों को भी वकीलों ने नहीं छोड़ा......। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट से स्थिति का जायजा लेने गई टीम पर भी पथराव किया गया...जब पटियाला हाउस कोर्ट में स्थिति शांत नहीं हुई...तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई और दिल्ली पुलिस से साफ-साफ लफ्जों में पूछा गया कि आदेश के बावजूद पुलिस ने सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए इस सवाल के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया मामले की सुनवाई हुई और फिर उसे चौदह दिनों के न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया ।

कन्हैया अब तिहाड़ जेल पहुंच गया है....लेकिन जेएनयू में लगी आग देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुकी है.....दिल्ली, जाधवपुर, नागपुर, हैदराबाद, इंदौर और पटना हर जगह की एक सी तस्वीर.....इन तस्वीरों से देश में इस वक्त क्या माहौल है, अंदाजा लगाया जा सकता है...कैसे चंद नापाक शब्दों ने देश की फिजा में जहर घोल दिया है, वर्तमान वय्वस्था और सियासत पर सवाल उठा दिए हैं ।

अफजल के लिए हमदर्दी भरे शब्दों ने जिस द्रोहकाल को जन्म दिया है...उससे सियासी माहौल बिगड़ गया है...तरक्की और भविष्य पर चर्चा की जगह कन्हैया की पिटाई से लेकर जेएनयू में नारेबाजी को लेकर नेता तू-तू मैं-मैं पर उतर आए हैं ।

कौन सही है, कौन गलत ये समझना मुश्किल है...असंभव नहीं...बस कोशिश कीजिए...उस कन्हैया को समझने की, जिस पर देश द्रोह का आरोप लगा है...उस उमर खालिद को जिसके जुबान से जहर बुझे तीर निकले....जाधवपुर यूनिवर्सिटी में खालिद के साथियों को.......।

साथ ही उन नेताओं को भी समझिए जो वोट बैंक के लिए आपको गुमराह कर रहे हैं....आप पर अपनी विचारधारा लाधने की कोशिश कर रहे हैं....ये वक्त आपको संभलने की है....क्योंकि इस वक्त नहीं संभले तो भविष्य आपको माफ नहीं करेगा....क्योंकि ये द्रोहकाल है ।

'द्रोहकाल' का 'मास्टरमाइंड' 

शब्द-शब्द...खंजर-खंजर बनकर देश की छाती में उतर रहा है....और बहस दर बहस तेज है सियासत के छोटे-बड़े पैमाने में । कोई कहता है ये अभिव्यक्ति की आजादी है...कोई कहता है कौम के जिंदा होने की शक्ति है...देश की सच्ची भक्ति है, जहां प्रश्न उठाए जाते हैं, जहां जवाब पूछे जाते हैं । लेकिन सच तो ये है ये 'द्रोहकाल' है, जहां सच पर मुकम्मल झूठ हावी है.....जहां एक आतंकी दस-दस जवानों की शहादत पर भारी है...और झूठे नारों के शोर में चुपचाप जल रही है देश की लहूलुहान आत्मा । 
इस द्रोहकाल को वर्तमान में जिसने हवा दी...जिसने आनेवाले भविष्य के लिए वर्तमान का चेहरा बिगाड़ने की कोशिश की है...उसका नाम है उमर खालिद ।  डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन का नेता उमर खालिद..जिसने नौ फरवरी को अफजल गुरु की बरसी पर जेएनयू में कार्यक्रम का आय़ोजन करवाया...खालिद ने कार्यक्रम में बड़ी तादाद में जेएनयू कैंपस के और बाहर के कश्मीरी छात्रों को बुलाया था और इस दौरान देश विरोधी नारे लगाए...कार्यक्रम की इजाजत रद्द होने के बाद जब डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन और वामपंथी संगठनों के लोग जेएनयू कैंपस में मार्च कर रहे थे तब उमर खालिद उनकी अगुवाई कर रहा था... जिस वक्त नारे लग रहे थे उमर खालिद ना केवल वहां मौजूद था बल्कि जेएनयू प्रशासन और ABVP के खिलाफ उसने ही नारेबाजी शुरू की थी...बाद में वहां देश विरोधी नारे भी लगे । ये पहला मौका नहीं है जब उमर खालिद ने इस तरह की हरकत की हो...दूसरे छात्रों को उकसाया हो...इससे पहले वो जेएनयू कैंपस में देवी देवताओं की नंगी तस्वीरें लगाकर नफरत पैदा करने, आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर जेएनयू कैंपस में मातम मनाने, 2010 में  दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों की शहादत पर जश्न का आयोजन कर चुका है।
उमर खालिद को भारत के खिलाफ आग उगलने की ताकत कहां से मिलती है....ये भी जान लीजिए IB की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उमर खालिद का संपर्क घाटी में अलगाववादी ताकतों और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से हैं और वो कई बार पाकिस्तान भी जा चुका है । उमर खालिद के बारे में जो जानकारी सामने आ रही है...उसके मुताबिक देश के 18 अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लिए जेएनयू जैसी साजिश रची गई थी..जिसकी एक झलक पश्चिम बंगाल के जाधवपुर यूनिवर्सिटी में देखने को मिल चुकी है ।

जो लोग या स्टूडेंट उमर खालिद के सुर में सुर मिला रहे हैं...जो उमर के शब्द दोहरा रहे हैं....उन्हें याद रखना चाहिए...भविष्य इस द्रोहकाल के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेगा....सियाचिन में शहीद हुए जवानों का परिवार उनके बच्चे कभी इस वक्त को माफ नहीं करेंगे...जब उनके गम में शरीक होने की जगह देश में अफजल जैसे आतंकी पर चर्चा हो रही थी ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें